Wednesday, December 31, 2008

लूट सको तो लूट लो (2)

जब भविष्य संवारने वाले ही उनके भविष्य से खिलवाड़ करने लगे..भले ही उन्हें इनका भविष्य संवारने के एवज में मोटी पगार मिलती हो.. पर वह पढ़ाना-लिखाना तो दूर की बात है, इन्हें जानती भी नहीं। जानेंगी तो तब जब शिक्षा के मंदिर में पहुंचे, लेकिन इन्हें तो घर बैठे ही मोटी पगार मिल जाती है।

क्योंकि यहां पर नियम-कानून इनके चलते हैं। इन्हें तो नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए मोटी पगार पर रखा गया था, पर इन्होंने जिनको नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए रखा है। न तो वो इतनी काबिल हैं कि नौनिहालों का भविष्य संवार सकें और न ही उनको इतना मेहनताना मिलता है। इनको सिर्फ हजार रुपये माह में मिलते हैं। और जिन्होंने इन्हें रखा है, उन्हें बिना कुछ किए ही दस-बारह हजार रुपये माह में मिल जाते हैं। और ये अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा-लिखा कर नवाब बनाना चाहती हैं, पर उनके बच्चों को आखिर ये क्यों खराब कर रही हैं? आखिर कर तक लोग मूक दर्शक बने रहेंगे?
[क्रमश:]

Tuesday, December 30, 2008

लूट सको तो लूट लो (1)

जब हर तरफ लूट मची हो तो आम नागरिक के हाथ निराशा ही तो लगेगी। काम कोई भी कराना हो, बिना कुछ खर्च किए नहीं होने वाला है। शिक्षा के मंदिर भी अब लूटने में पीछे नहीं हैं। चाहे किसी कक्षा में दाखिला लेना हो या फिर घर बैठे डिग्री लेनी हो। अगर पैसा खर्च करोगे तभी ये सुविधाएं मिल पाएंगी, वर्ना नहीं। अगर उच्च शिक्षा कहीं से प्राप्त भी कर ली है तो उसकी मार्कशीट, डिग्री और माइग्रेशन सर्टिफिकेट मिलना आसान नहीं है।

यह तभी आसानी से मिलेगा जब या तो पैसा खर्च करों या फिर ऊपर तक पहुंच हो। नहीं तो इस खिड़की से उस खिड़की के चक्कर लगाते-लगाते जूते-चप्पल तो घिसेंगी ही। साथ ही, हो सकता है कि घर का भी रास्ता न याद रह जाए। फिर भी निराशा ही हाथ लगेगी। और अगर पैसा खर्च करोगे तो बिना कुछ पढ़े-लिखे ही घर बैठे डिग्री भी मिल जाएगी। उनसे और मोटी रकम वसूली जाती है, जो यह कहते हैं कि हम दूर-दराज से आए हैं। क्योंकि जब मजबूरी का सभी फायदा उठाते हैं तो ये लोग भला क्यों पीछे रहें।
[क्रमशः]

Wednesday, December 17, 2008

क्या हुआ तेरा वादा?

पहली पत्‍‌नी और बच्चों को खून के आंसू रुलाया। पिता की इज्जत और धन-दौलत दांव पर लगा दी। फिर भी इन्हें अपने किए का कोई पछतावा नहीं है, और न ही कुतर्क करने से बाज आ रहे हैं।

'प्यार' के लिए धर्म और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले हरियाणा के चंद्र मोहन उर्फ चांद मोहम्मद का कहना है कि इन्होंने अपनी पहली पत्नी सीमा बिश्नोई के साथ कोई अन्याय नहीं किया। बीबी-बच्चों को पूरा न्याय दिया और पूरी प्रापर्टी उनके नाम कर दी। किसी को कभी भी परेशान नहीं किया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल भले ही इनकी करतूतों पर शर्मसार हों, पर इनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।

चांद का कहना है कि इस देश में 95 फीसदी मर्द हैं, जो महिलाओं के साथ संबंध तो रखते हैं लेकिन उनकी तरह ऐलान नहीं करते। पर मैंने तो मोहब्बत का खुलेआम इजहार किया है, और इसे अंजाम तक भी पहुंचाऊंगा। अनुराधा बाली उर्फ फिजा भी कहती हैं कि मैंने किसी का हक नहीं मारा। पर इन्होंने क्या चंद्रमोहन की सीमा का हक नहीं मारा है?

चंद्रमोहन कहते फिर रहे हैं कि मैंने चांद से किया अपना वाया निभाया है, पर इन्होंने तो कभी सीमा से भी वादा किया था, उस वादे का क्या हुआ?

Friday, December 12, 2008

क्या नाम दूं?

जिनकी वे पूजा करते हैं, उनके बताए मार्ग पर चलते हैं। उनके एक इशारे पर मरने मारने को तैयार हो जाते हैं। शायद उन्हें यह नहीं मालूम कि जिनके प्रति उनमें इतनी आस्था है, उनका दामन कितना पाक-साफ है? और वे क्या गुल खिलाते हैं? दरअसल ये तो अपनी ही महिला भक्तों की आबरू लूटते हैं, उनकी ब्लू फिल्म बनाते हैं।

अभी कुछ दिन पहले शंकराचार्य दयानंद पांडे ने खुद कबूल किया था कि हां, मैंने अपने ही कई भक्तों से शारीरिक संबंध बनाए। मैंने बेडरूम में हिडन कैमरे लगा रखे थे। मैंने जिन महिला भक्तों की ब्लू फिल्म बनाई, उनको इसका पता नहीं चलता था। मुझे ये भी याद नहीं कि मैंने कितनी महिला भक्तों से संबंध बनाए। हां, इनमें से अधिकतर विधवा महिलाएं थीं, जो सांत्वना के लिए मेरे पास आती थीं।

अब इन करतूतों की चाहे जो भी इन्हें सजा मिले पर वह नाकाफी ही होगी।

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख संत गुरमीत सिंह राम रहीम, जिनके एक इशारे पर हजारों भक्त मरने-मारने को हरदम तैयार रहते हैं..पर डेरा अनुयायी रंजीत और पत्रकार रामचंद छत्रपति हत्याकांड में आरोप तय कर दिए गए हैं। साथ ही, यौन शोषण मामले में एक गवाह के भी बयान दर्ज किए गए हैं।

ये उस समय चर्चा में आए थे जब एक पंजाबी अखबार में छपे विज्ञापन में डेरा प्रमुख को दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह की वेशभूषा पहने दिखाया गया था। इस पर सिखों ने कड़ा ऐतराज जताया था। बाद में इसी को लेकर विवाद भड़क गया था। विरोध की इस चिंगारी ने कई प्रांतों को झुलसाकर रख दिया था।

जिनमें हजारों लोगों की आस्था है, जब उनके ऐसे कृत्य होंगे तो अपराधी और इनमें अंतर ही क्या रहेगा? अपराधी तो फिर भी इनसे अच्छे हैं जो खुलेआम आपराधिक घटनाओं को अंजाम तो देते हैं और ये क्या कुछ नहीं करते? फिर भी लोगों की आस्था से खेलते रहते। इनको क्या नाम दूं?

Wednesday, December 10, 2008

संत-संयम और शर्म

जिस तरह हाथी के दांत दिखाने के लिए और होते हैं और खाने के लिए और, ठीक उसी तरह होते हैं संत। ये दूसरों को तो उपदेश देते फिरते हैं कि तुम ऐसा करो-वैसा करो, और खुद क्या कुछ नहीं करते। दिखावे के लिए भले ही ये लंबा तिलक लगात हों, लाल-पीले कपड़े पहनते हों पर न तो ये मन पर काबू पा सकते हैं और न ही इंद्रियों पर। कुछ ऐसे भी हैं जो जिम्मेदारी तो निभा नहीं सके और बन गए संत। न तो आचरण सही है न ही संयम है और न ही शर्म, फिर भी बन गए। ऐसे में ये भगवान के नाम पर दुकानदारी नहीं चलाएंगे तो और क्या करेंगे?

हां, मैंने अपने ही कई भक्तों से शारीरिक संबंध बनाए। मैंने बेडरूम में हिडन कैमरे लगा रखे थे। मैंने जिन महिला भक्तों की ब्लू फिल्म बनाई, उनको इसका पता नहीं चलता था। मुझे ये भी याद नहींकि मैंने कितनी महिला भक्तों से संबंध बनाए। हां, इनमें से अधिकतर विधवा महिलाएं थीं, जो सांत्वना के लिए मेरे पास आती थीं।

ये सब कबूल किया है शंकराचार्य दयानंद ने। इन्होंने ये सब गुल खिलाने से पहले ये भी नहींसोचा कि ऊपर वाले को क्या जवाब देंगे? ऐसा नहीं कि सभी संत दयानंद जैसे ही कारनामें करते हों, पर अधिकतर तो हैं ही।

जिस भारतभूमि में कभी मंत्र गूंजते थे, वहीं आज तथाकथित संतों की करतूतों को सुन-सुन कर सिर शर्म से झुक जाता है।

Tuesday, December 9, 2008

कैसा सलूक करेंगे?

पाकिस्तान की कथनी और करनी जग जाहिर है। भले ही उसने भारत और अमेरिका के भारी दबाव के चलते एक-दो आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया है। फिर भी क्या गारंटी कि पाक उनसे सख्ती से निपटेगा।

क्या पाक में दो ही आतंकी हैं? और आतंकी क्यों नहीं दबोचे गए? इनमें भी सिर्फ एक आतंकी जकीउर रहमान लखवी को ही गिरफ्तार किया गया, जबकि दूसरे आतंकी मसूद अजहर को केवल नजरबंद ही किया जाना क्या ठीक है?

अगर वास्तव में आतंकियों पर अंकुश लगाना ही होता तो पाक क्या उन्हें भारत को नहीं सौंपता?

पाक के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अब भले ही यह कह रहे हों कि पाक में जो भी राष्ट्रविरोधी तत्व पकड़े गए हैं, उनके साथ आतंकी और हत्यारों के तौर पर सलूक किया जाएगा। पर अब देखना ये है कि जरदारी इनके खिलाफ कैसा सलूक करते हैं?

Sunday, December 7, 2008

...और फंस गए मंत्री जी

चांद और फिजा यूं ही इक-दूजे के नहीं हो गए। इसके लिए चांद को क्या कुछ नहींकरना पड़ा। पहले तो दूसरी शादी के लिए धर्म छोड़ना पड़ा, और फिर उन्हें पद भी छोड़ना पड़ गया। फिर भी शायद ही इस शादी को कानूनी मान्यता मिल सके।

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने राज्य की सहायक महाधिवक्ता अनुराधा बाली से शादी कर इस्लाम कबूल लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पुत्र चंद्रमोहन का नाम अब चांद मोहम्मद और अनुराधा बाली का फिजा होगा।

सरकार ने 25 नवंबर को अनुराधा को पद से हटा दिया था, और अब लंबी गैरहाजिरी के चलते चंद्रमोहन को भी पद से हटा दिया गया है। हालांकि वह कांग्रेस में बने रहेंगे। चंद्रमोहन लगातार चौथी बार पंचकूला से विधायक हैं।

चंद्रमोहन का पहला विवाह 1989 में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम सीमा बिश्नोई है। उनके एक बेटा व एक बेटी है। एक बेटे मोहित का कुछ माह पहले निधन हो गया था। उनका दूसरा बेटा सिद्धार्थ इंग्लैड में और बेटी चंडीगढ़ में पढ़ती है। चंद्रमोहन इस साल दीपावली के बाद से लापता थे।