लूट सको तो लूट लो (2)
जब भविष्य संवारने वाले ही उनके भविष्य से खिलवाड़ करने लगे..भले ही उन्हें इनका भविष्य संवारने के एवज में मोटी पगार मिलती हो.. पर वह पढ़ाना-लिखाना तो दूर की बात है, इन्हें जानती भी नहीं। जानेंगी तो तब जब शिक्षा के मंदिर में पहुंचे, लेकिन इन्हें तो घर बैठे ही मोटी पगार मिल जाती है।
क्योंकि यहां पर नियम-कानून इनके चलते हैं। इन्हें तो नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए मोटी पगार पर रखा गया था, पर इन्होंने जिनको नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए रखा है। न तो वो इतनी काबिल हैं कि नौनिहालों का भविष्य संवार सकें और न ही उनको इतना मेहनताना मिलता है। इनको सिर्फ हजार रुपये माह में मिलते हैं। और जिन्होंने इन्हें रखा है, उन्हें बिना कुछ किए ही दस-बारह हजार रुपये माह में मिल जाते हैं। और ये अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा-लिखा कर नवाब बनाना चाहती हैं, पर उनके बच्चों को आखिर ये क्यों खराब कर रही हैं? आखिर कर तक लोग मूक दर्शक बने रहेंगे?
[क्रमश:]