Monday, April 8, 2013

शर्म मगर इनको नहीं आती..

बेशर्म जुबान, बेतुके बयान..शर्म मगर इनको नहीं आती..सफेदपोशों के ये बयान क्या अवाम की दुखती रग पर नमक छिड़कने से कम हैं.. बांध में पानी नहीं तो क्या हम उसमें पेशाब करके दें: महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने सूखे से जूझते किसानों की तरफ से हो रही पानी की मांग का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि जब बांध में पानी है ही नहीं तो क्या पेशाब करके दें पानी? उन्होंने एक जनसभा में मुंबई के आजाद मैदान में एक सूखा पीडि़त किसान के अनशन करने का मजाक उड़ाया। पवार ने अनशनकारी किसान के संदर्भ में कहा कि वह पिछले दिनों से अनशन पर है। यदि डैम में पानी नहीं है तो हम किस तरह पानी छोड़ें? क्या हमें उसमें पेशाब करना चाहिए? यदि पीने के लिए पानी नहीं है तो पेशाब होना भी तो संभव नहीं है।' यह बात उन्होने पुणे जिले के इंदापुर तहसील के एक गांव में कही। राज्य में बिजली गुल होने पर मजाक में उन्होंने कहा कि मैंने गौर किया है कि जब से रात में बत्तियां गुल हो रही हैं बच्चे अधिक पैदा हो रहे हैं। तब करने को और कोई काम नहीं रह जाता। हालांकि इस बयान को लेकर पूरे महाराष्ट्र में हो रही आलोचना और विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पवार ने बाद में माफी मांग ली। गांव वालों के अच्छा खाने से बढ़ी महंगाई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर डी. सुब्बाराव का कहना है कि देश में महंगाई बढ़ने के लिए गांव में रहने वाले लोग जिम्मेदार हैं। आरबीआई चीफ ने कहा गांव वालों की आमदनी बढ़ रही है, इसलिए वे दूध, फल, मटन खाने लगे हैं, जिससे चीजें महंगी होने लगी हैं और देश को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।

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