Wednesday, December 17, 2008

क्या हुआ तेरा वादा?

पहली पत्‍‌नी और बच्चों को खून के आंसू रुलाया। पिता की इज्जत और धन-दौलत दांव पर लगा दी। फिर भी इन्हें अपने किए का कोई पछतावा नहीं है, और न ही कुतर्क करने से बाज आ रहे हैं।

'प्यार' के लिए धर्म और उपमुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले हरियाणा के चंद्र मोहन उर्फ चांद मोहम्मद का कहना है कि इन्होंने अपनी पहली पत्नी सीमा बिश्नोई के साथ कोई अन्याय नहीं किया। बीबी-बच्चों को पूरा न्याय दिया और पूरी प्रापर्टी उनके नाम कर दी। किसी को कभी भी परेशान नहीं किया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल भले ही इनकी करतूतों पर शर्मसार हों, पर इनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।

चांद का कहना है कि इस देश में 95 फीसदी मर्द हैं, जो महिलाओं के साथ संबंध तो रखते हैं लेकिन उनकी तरह ऐलान नहीं करते। पर मैंने तो मोहब्बत का खुलेआम इजहार किया है, और इसे अंजाम तक भी पहुंचाऊंगा। अनुराधा बाली उर्फ फिजा भी कहती हैं कि मैंने किसी का हक नहीं मारा। पर इन्होंने क्या चंद्रमोहन की सीमा का हक नहीं मारा है?

चंद्रमोहन कहते फिर रहे हैं कि मैंने चांद से किया अपना वाया निभाया है, पर इन्होंने तो कभी सीमा से भी वादा किया था, उस वादे का क्या हुआ?

5 Comments:

At December 17, 2008 at 10:07 AM , Blogger seema gupta said...

"वादा तो टूट जाता है , कोशिश कामयाब रहती है ....अब वादा किया था सो टूट गया, कोशिश की ही नही होगी निभाने की.."

Regards

 
At December 17, 2008 at 11:01 AM , Blogger Anil Pusadkar said...

कमीने अक्सर बहाने किया करते है ।

 
At December 17, 2008 at 11:43 AM , Blogger dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

जो अपने बाप ,अपने धर्म .अपने बच्चो का नही हुआ वह फिजा का क्या होगा .फिर कोई दिखेगी जूस पीती हुई और वह भी पसंद आ गई तो .........

 
At December 18, 2008 at 12:23 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

अजी ऎसॆ नेता का क्या भरोसा... जो वादा करता है तोडने के लिये.... इस नालायक को किस ने कहा कि ९५% मर्द हर्जाई होते है....
जो मां बाप का, बच्चो का नही हुया वो इस ....

 
At December 19, 2008 at 9:02 PM , Blogger महेन्द्र मिश्र said...

घोडे की टांग और नेताओ की बोलती(थूथनी) पर ......क्या भरोसा करे. इनकी सालो की करनी और कथनी में अन्तर रहता है . भाई मर्यादा का ख्याल कर रहा हूँ वरना सालो को इत्ती गाली देता पर क्या करू पढ़ा लिखा जो ठहरा जी .

 

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