Sunday, November 16, 2008

मजबूती हाजिर है

पुल इतना मजबूत क्यों बनाया जाता है, जो क्षमता की जांच के दौरान की ढह जाता है? क्या इसी तरह पुल ढहते रहेंगे और निर्दोष लोगों की जान जाती रहेगी?

ये वो पुल है जो जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी पर लगभग बन कर तैयार हो गया था, और इसे अगले सप्ताह यातायात के लिए खोला जाना था। मगर उससे पहली ही इसकी हकीकत सबके सामने आ गई।

जिन लोगों ने इस पुल को इतना मजबूत बनवाया था उनकी सेहत पर तो कोई असर नहीं पड़ा, और मारे गए बेचारे मजदूर। क्योंकि प्रशासन ने पुल की क्षमता की जांच के लिए उस पर बालू की बोरी रखी थीं, और मजदूर इन बोरियों को हटा रहे थे तभी पुल ढह गया। इस हादसे में कई मजदूरों की मौत हो गई और कई लापता हो गए।

अगर ये पुल यातायात के लिए खोले जाने के बाद ढहता, तब तो और भी जानें जातीं। हादसे के बाद भले ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं, मगर जब पुल बन रहा था तो उस समय संबंधित विभाग और सरकार ने इस ओर क्यों ध्यान नहीं दिया गया?

मामले की जांच होने और उसकी रिपोर्ट आने से क्या हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के जख्म भर पाएंगे? या एक-दो लाख रुपये मिल जाने भर से वे खून के आंसू नहीं रोएंगे? न ही सरकार और संबंधित विभाग इस हादसे से सबक लेगा।

5 Comments:

At November 16, 2008 at 10:52 PM , Blogger राज भाटिय़ा said...

राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस घटना की जांच के आदेश जी आदेश देने की क्या जरुरत, ज कर उस ठेके दार को पकडो...., अरे जब रेत का पुल बने गा तो टुटेगा ही .
धन्यवाद

 
At November 17, 2008 at 1:46 AM , Blogger Dr. Ashok Kumar Mishra said...

देश के मौजूदा हालात को बडे प्रभावशाली तरीके से अिभव्यक्त िकया है आपने ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

 
At November 17, 2008 at 8:18 AM , Blogger जितेन्द़ भगत said...

ठेकेदारों पर नकेल कसे जाने की जरूरत है मगर उनके गठजोड़ को तोड़ना आसान भी तो नहीं है।
आपने सही मुद्दा उठाया।

 
At November 17, 2008 at 10:42 AM , Blogger Anil Pusadkar said...

सीधे जेल मे ठूंसना चाहिये ठेकेदार और अफ़सरों को ,मगर ऐसा होगा नही क्योंकी सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।अच्छी खबर ली आपने उनकी।

 
At November 17, 2008 at 12:46 PM , Blogger seema gupta said...

" oh god, very shameful.."

Regards

 

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