...इसीलिए तो हैं शातिर
आगे निकलने की होड़ न होती
तो हिमाचल के लंबीधर में बस न पलटती
न ही 46 लोगों की जान जाती
न ही वे विधवा होती
न बच्चे अनाथ होते
निजी बस चालक की लापरवाही
दो परिवारों पर पड़ी भारी
बुझ गए कई घरों के चिराग
फिर भी सरकार क्यों नहीं रही जाग
मोटी कमाई की खातिर ही तो हैं वे इतने शातिर
क्या कोई इन्हें दिलाएगा जिम्मेदारी का अहसास
5 Comments:
क्या जिम्मेदारी-अहसास ही मर चुके हैं सारे.
sahi sawwal uthaya hai aapney.
हो सकता है यह बसे ही इन कमीनो की अपनी हो, मरने वाले इन के अपने होते तो इन्हे पता चलता...
धन्यवाद
तो हिमाचल के लंबीधर में बस न पलटती
न ही 46 लोगों की जान जाती
न ही वे विधवा होती
न बच्चे अनाथ होते
निजी बस चालक की लापरवाही
दो परिवारों पर पड़ी भारी
"height of carelessness..... what more to say"
Regards
jummedari ka hasaas n hona kary ke prati laparavahi hi ghatana ko anjaam deti hai .
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