Tuesday, November 4, 2008

...इसीलिए तो हैं शातिर

आगे निकलने की होड़ न होती
तो हिमाचल के लंबीधर में बस न पलटती
न ही 46 लोगों की जान जाती
न ही वे विधवा होती
न बच्चे अनाथ होते
निजी बस चालक की लापरवाही
दो परिवारों पर पड़ी भारी
बुझ गए कई घरों के चिराग
फिर भी सरकार क्यों नहीं रही जाग
मोटी कमाई की खातिर ही तो हैं वे इतने शातिर
क्या कोई इन्हें दिलाएगा जिम्मेदारी का अहसास

5 Comments:

At November 5, 2008 at 12:23 AM , Blogger Udan Tashtari said...

क्या जिम्मेदारी-अहसास ही मर चुके हैं सारे.

 
At November 5, 2008 at 12:44 AM , Blogger Dr. Ashok Kumar Mishra said...

sahi sawwal uthaya hai aapney.

 
At November 5, 2008 at 12:57 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

हो सकता है यह बसे ही इन कमीनो की अपनी हो, मरने वाले इन के अपने होते तो इन्हे पता चलता...
धन्यवाद

 
At November 5, 2008 at 10:15 AM , Blogger seema gupta said...

तो हिमाचल के लंबीधर में बस न पलटती
न ही 46 लोगों की जान जाती
न ही वे विधवा होती
न बच्चे अनाथ होते
निजी बस चालक की लापरवाही
दो परिवारों पर पड़ी भारी
"height of carelessness..... what more to say"

Regards

 
At November 5, 2008 at 8:03 PM , Blogger महेंद्र मिश्र.... said...

jummedari ka hasaas n hona kary ke prati laparavahi hi ghatana ko anjaam deti hai .

 

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