Saturday, October 11, 2008

भीख भी महफूज नहीं

बढ़ते अपराध और महंगाई के दौर में भिखारियों की भीख भी अब महफूज नहीं रह गई है।

एक रिक्शे वाला अपाहिज भिखारी को चाय में नशीला पदार्थ पिलाकर बूंद-बूंदकर जोड़ी हजारों की नकदी लूट ले गया। ऐसे में दूसरे लोग कितने महफूज होंगे।

6 Comments:

At October 12, 2008 at 2:24 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

बाप रे भिखारी की हजारो की राशि !!!!
धन्यवाद

 
At October 12, 2008 at 9:27 AM , Blogger Anil Pusadkar said...

फ़िर रहे यहां, आज कुछमेहरबां, आस्तिनों में खंजर छुपाये हुये, हमसे मत कीजिये दुश्मनों का गिला, हम तो हैं दोस्तों के सताये हुए।

 
At October 12, 2008 at 9:31 AM , Blogger Unknown said...

हिंदुस्तान जिसमें की दुनिया के सबसे ज़्यादा खरबपति हैं, उसमे राज भाटिया को बेचारे गरीब भिखारी के कुछ हज़ार 'बाप रे बाप' लग रहे हैं. कुछ हज़ार की कीमत ही क्या है आज, इतना तो छोटे कसबे के अमीरजादे भी डिनर या ब्यूटी पार्लर पर खर्च कर देते है. भारत को खतरा लुटेरों या भिखारियों से नहीं ऐसे 'बाप रे बाप' कहकर हैरान होने वालों से है.

 
At October 12, 2008 at 9:57 AM , Blogger Unknown said...

शेर का सवा शेर । एक से बढ़कर एक

 
At October 12, 2008 at 1:55 PM , Blogger Nitish Raj said...

ये तो गजब का किस्सा सुना दिया भई।

 
At October 12, 2008 at 9:55 PM , Blogger makrand said...

wah ji
bahut umda jankari........
regards

 

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