Friday, September 26, 2008

मिलावट रुके भी तो कैसे ?

मिलावट दरअसल इसलिए रुकने का नाम नहीं ले रही है क्योंकि जो मिलावट करते हैं, उनके पास भी तो तर्क रहता है कि आखिर वह ऐसा नेक काम क्यों करते हैं।

मिलावट करने वालों के मुताबिक अगर वह दूध में पानी नहीं मिलाएंगे तो जो लोग इसका सेवन करेंगे उनका हाजमा खराब हो जाएगा। और फिर बाढ़ के पानी की खपत भी तो करनी है। फिर पानी को चाहे ही जिस चीज में मिला दो वह उसी के रंग में मिल भी तो जाता है।

अगर किसी शहरी को शुद्ध देशी घी खिला दिया जाए तो क्या वह हजम कर पाएगा? चूंकि मिलावट करने वालों को तो हर किसी की सेहत का ख्याल रखना होता है। शायद इसीलिए ये घी में डालडा व गाय की चर्बी तक भी मिलाने से गुरेज नहीं करते हैं।


दरअसल, जनता के स्वास्थ्य की हिफाजत करने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है, लेकिन खाद्य पदार्थो में मिलावट की रोकथाम के लिए अभी तक ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया गया, जिससे लोगों को लगे कि वास्तव में उसे जनता के स्वास्थ्य की परवाह है। मिलावटयुक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से बीमारी फैलने की आशंका के बावजूद इस संबंध में रोकथाम के समुचित प्रयास न होने से विभागीय कार्यकुशलता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।

ऐसा नहीं है कि केवल त्योहारों के मौसम में ही खाद्य पदार्थो में मिलावट के मामलों में बढ़ोतरी होती है, बल्कि यह गोरखधंधा साल भर चलता रहता है और इसकी जानकारी विभाग को भी रहती है। लेकिन ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न होने से ऐसी घटनाओं पर विराम लगाने में मुश्किल आ रही है।

नगर निगम हो या उपभोक्ता व जन वितरण विभाग, सभी का काम केवल नमूने भरने तक ही सीमित है। बाद में दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, यह किसी की जानकारी में नहीं रहता। यदि कोई मिलावट करने वाला पकड़ा भी जाता है तो वह ठोस साक्ष्यों के अभाव में आसानी से छूट जाता है।

मिलावट की रोकथाम के लिए यह आवश्यक है कि संबंधित विभाग और पुलिस लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों से पूरी गंभीरता से निपटे। त्योहारों पर विशेष रूप से मिठाइयों और दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता पर विशेष रूप से नजर रखना जरूरी है।

6 Comments:

At September 26, 2008 at 10:46 PM , Blogger jitendra said...

ek Aur milaavat bahut khraab hain Jo sansad me netaao ki ho rahi hain caahe NDA ki ho yaa UPA Ki....

 
At September 27, 2008 at 12:14 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

इस की रोक थाम तो हो सकती हे, अगर सरकार चाहे तो??? युरोप मे मिलावट करने वाले को इतना जुर्माना होता हे की वह भीख मांगने के लिये लाचार हो जाता हे,कानुन सख्त हो तो फ़िर कोई केसे गुनाह कर सकता हे...
धन्यवाद

 
At September 27, 2008 at 1:28 AM , Blogger Dr. Ashok Kumar Mishra said...

sachinji,
milavat per achcha vyangya kiya hai aur sach sey bhi avgat karaya hai.

 
At September 27, 2008 at 2:28 AM , Blogger राजीव उत्तराखंडी said...

shi kha

 
At September 27, 2008 at 9:09 AM , Blogger seema gupta said...

" bhut shee vishey uthaya hai apne, ab hone ko kya nahee ho sketta, ager govt chaye to rok sektee hai, shayad ankhen khulen ..."

Regards

 
At September 27, 2008 at 11:18 AM , Blogger दीपक said...

इससे निपटने के लिये कानुन कडे होने चाहिये !! आभार

 

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