क्या बोझ हूं मैं?
मां को भगवान ने छीन लिया
बाप स्वर्ण मंदिर में छोड़ गया
अगर ये बोझ न होतीं
तो आज क्यों रोतीं
क्योंकि ये बेटियां थीं
तभी तो बाप को अखरती थीं
भाई को तो अपना लिया
मुझे क्यों ठुकरा दिया
कहां मिलेगा वो दुलार
अपनों का प्यार
पापा क्या बोझ हूं मैं
क्यों छोड़ दिया मुझे.
5 Comments:
पापा क्या बोझ हूं मैं
क्यों छोड़ दिया मुझे.
भाई सचिन जी बहुत मार्मिक कविता है !
बहुत धन्यवाद आपको !
बहुत ही भावुक,
धन्यवाद
अति मार्मिक.
पापा क्या बोझ हूं मैं
क्यों छोड़ दिया मुझे.
" very heart touching"
Regards
karun kavita...
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