Wednesday, August 27, 2008

हर किसी ने सताया

उनको तो हर किसी ने सताया
पहले सर्दी ने ठिठुराया

फिर गर्मी ने झुलसाया
सूखे ने खून के आंसू रुलाया

अब बाढ़ ने कहर ढाया
सूदखोरों ने ब्याज बढ़ाया

महंगाई ने निवाला छुड़ाया
ऊपर वाले ये कैसी तेरी माया.

3 Comments:

At August 27, 2008 at 1:16 AM , Blogger Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!

 
At August 27, 2008 at 2:07 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

गरीब किसान की शायद यही किस्मत हे.
धन्यवाद एक सुन्दर रचना के लिये

 
At August 27, 2008 at 3:50 AM , Blogger Nitish Raj said...

वाह क्या बात है, सुंदर।

 

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