Monday, August 11, 2008

काश! मेरा बेटा भी अभिनव जैसा होता

उसने कहां-कहां नहीं मन्नत मांगी॥ताकि उसे भी पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति हो जाए। शायद इसलिए कि जब मैं बुजुर्ग हो जाऊंगा तो वह मेरे बुढ़ापे की लाठी का सहारा बनेगा। मेरा नाम रोशन करेगा। इसी तरह उसकी ना जाने कितनी ख्वाहिशें थी। पर सभी को अभिनव बिंद्रा जैसे लाल नहीं मिलते, जो इतिहास रचे और मां-बाप के साथ देश का भी नाम रोशन करें। उसे काफी मन्नतों के बाद एक पुत्र रत्‍‌न की प्राप्ति हो गई। उसने अपने जिगर के टुकड़े के लिए क्या कुछ नहीं किया। उसकी हर ख्वाहिशें पूरी की। करता भी क्यों ना, क्योंकि वह जो उसकी आंखों का तारा था, फिर इकलौती संतान तो और भी प्यारी होती है।

उसने अपने लाल को अच्छी से अच्छी तालीम दी। चूंकि वह खुद पेशे से डाक्टर था, इसलिए उसकी ख्वाहिश थी कि मेरा बेटा भी पढ़-लिख कर नेक इंसान बने। खैर, वह बेटे को खुद की तरह नामी डाक्टर तो नहीं बना सका, पर वकील जरूर बना दिया। ईश्वर की कृपा कहें या फिर बेटे की मेहनत व लगन उसकी वकालत खूब चल पड़ी। अब उसकी भी दूर-दूर तक चर्चा होने लगी कि फलां व्यक्ति तो डाक्टर था ही, उसका बेटा भी बड़ा अच्छा वकील है।

पर यह सब ज्यादा दिन तक नहींचला। कल तक उसकी वकालत खूब चलती थी तो कमाई भी अच्छी हो जाती थी, पर अब वो बात कहां। अब तो महीनों हो जाते हैं, पर उसके पास कोई केस ही नहींआता। अब वह करे भी तो क्या। खर्च दिन-ब-दिन बढ़ रहा है और आमदनी घट रही है। चूंकि अब वह शादीशुदा है और उसके भी बच्चे हैं, इसलिए बाप से खर्च के लिए पैसे मांगना भी नहीं चाहता। फिर कुछ लोगों की गलत संगत में पड़कर वह भी बुरा आदमी बन गया। अब वह दिन में तो कोर्ट में दिखावे के लिए बैठता कि फलां वकील साहब हैं, और शाम ढलते ही वह चोरी, डकैती और लूटपाट करने लगा। धीरे-धीरे उसका गिरोह काफी बड़ा हो गया। अब वह एक-एक रात में 16-16 तक डकैती डालने लगा।

कहते हैं कि ऊंट की चोरी कब तक निहुरे-निहुरे, कभी न कभी तो पकड़ा ही जाएगा। उसके साथ भी यहीं हुआ। एक दिन जब वह अपने गिरोह के साथ चोरी के पैसे बांट रहा था तो किसी मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने आकर उसके गिरोह के एक सदस्य को दबोच लिया। पुलिस की पिटाई से उसका साथी टूट गया और उसने सच उगल दिया। फिर क्या था। सुबह हर अखबार की सुर्खियों में था फलां नामी डाक्टर का बेटा नामी चोर। अब कल तक लोग जिस डाक्टर की तारीफ करते नहींथकते थे, आज उसकी बुराई करते नहीं थकते हैं।

कहते हैं, अरे जब बेटा नामी चोर है, तो बाप भी जरूर उससे मिला होगा। ऐसे में उस बाप पर क्या गुजरी होगी। तब से उसने कसम खा ली, कि कभी वह बेटे से बात नहीं करेगा। आज काफी समय हो गए हैं, पर वह अब भी बेटे से बात नहीं करता है। हालांकि उसकी पत्‍‌नी व बेटे-बहुओं को फिर भी हर संभव मदद करता है। अब ये महाशय गांव में रहकर खेती कर रहे हैं। और इनके चार बेटों, बहुओं, उनके बच्चों और खुद इन महाशय व इनकी पत्‍‌नी का खर्च भी खुद डाक्टर साहब अब भी उठा रहे हैं।

अब ये महाशय भले ही चोरी नहीं करते हैं, पर इनकी आदत में जरा सा भी बदलाव नहीं आया है। अब वह खुद गांजा पीते हैं और आस-पास के लोगों को भी खासकर युवा व बेरोजगार को भी आदी बना रहेहैं। भले ही वह हिस्टी शीटियर है, पुलिस की भी उस पर चौबीस घंटे नजर रहती है फिर भी वह हर समय नशे में धुत रहता है।

बुजुर्ग बाप कल तक जो उसकी खुशी के लिए मन्नतें मांगते नहीं थकता था, अब वह उसकी मौत की मन्नत मांगने के लिए मजबूर है। मां-बाप ने बुढ़ापे में यहीं सब देखने के लिए क्या इन महाशय को बड़ा किया था। आज शायद ये मां-बाप भी यहींसोच रहे होंगे कि काश! मेरा बेटा भी अभिनव बिंद्रा जैसा होता।

3 Comments:

At August 12, 2008 at 12:33 AM , Blogger Udan Tashtari said...

अफसोसजनक और दुखद किस्सा. हर माँ बाप बच्चों की खुशी चाहते हैं, उन्हें तरक्की करता देखना चाहते हैं.

 
At August 12, 2008 at 2:13 AM , Blogger सचिन मिश्रा said...

टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

 
At August 12, 2008 at 7:58 AM , Blogger बालकिशन said...

बहुत ही दुखद किस्सा.
क्या कहें.
हर किसी को मुकम्मल जन्हा नहीं मिलता
कंही जमीन तो कंही आसमान नहीं मिलता.
(आपके ब्लाग पर पढने में बहुत असुविधा होती है , अगर हो सके तो रंग और अक्षर में कुछ परिवर्तन करें.)
आभार.

 

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