'दोस्ती'
दोस्ती, कहने को तो यह एक शब्द मात्र है। लेकिन, विश्वास, प्यार, अपनापन इसमें समाहित है। यहीं जिंदगी में रंग घोलता है। विश्वास पर अडिग रह कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जरूरत पड़ने पर प्यार न्योछावर करता है। कभी अकेले में इसका अपनापन जीने की चाहत बढ़ाता है। है न बहुत कुछ॥और भी कुछ..!
दोस्ती बयान करने के लिए शब्द कम पड़ जाएं। पर, अहसास बयां नहीं हो सकता है। है ही ऐसा रिश्ता। तनहा जिंदगी और लंबा सफर। ऐसे में दोस्ती॥सही माने तो इस शब्द की सभी को जरूरत है। हर किसी की जिंदगी में इसका विशेष स्थान है। इस रिश्ते के बिना जिंदगी कुछ अधूरी सी लगती है। बात दिल की हो या दर्द बांटने की..दोस्त का कंधा हर समय तैयार रहता है।
सच ही कहा है॥हर मंजिल हो जाती आसान, हर भवर में किनारा मिलता है। ऐ दोस्त तेरा साथ रहे, हर दर पर ठिकाना मिलता है। हो कोई भी गम या मजबूरी। दोस्त का दामन हर मुश्किल से निकाल देता है। पौराणिक हो या आधुनिक समय, सभी को दोस्ती से बल और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है। 'रामायण' की बात करते हैं। लंका पर चढ़ाई के लिए राम को सुग्रीव का साथ मिला। वानर राज सुग्रीव ने प्रभु राम को हर संभव मदद की, परिणाम लंका विजय और रावण वध।
अब बात करते है 'महाभारत' की। कर्ण ने दुर्योधन की मित्रता के लिए अपने सगे भाई पांडवों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सच है दोस्ती अपने ही बनाई जाती है और अपने ही तरीके से इसे निभाया भी जाता है।
4 Comments:
"very nicely written, liked reading this article"
Regards
दोस्ती का
दामन मन से
आता है
इसलिए दोस्ती में
नहीं होता दरवाजा है
सिर्फ होती है चौखट।
- अविनाश वाचस्पति
सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home