Sunday, August 3, 2008

'दोस्ती'

दोस्ती, कहने को तो यह एक शब्द मात्र है। लेकिन, विश्वास, प्यार, अपनापन इसमें समाहित है। यहीं जिंदगी में रंग घोलता है। विश्वास पर अडिग रह कर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। जरूरत पड़ने पर प्यार न्योछावर करता है। कभी अकेले में इसका अपनापन जीने की चाहत बढ़ाता है। है न बहुत कुछ॥और भी कुछ..!

दोस्ती बयान करने के लिए शब्द कम पड़ जाएं। पर, अहसास बयां नहीं हो सकता है। है ही ऐसा रिश्ता। तनहा जिंदगी और लंबा सफर। ऐसे में दोस्ती॥सही माने तो इस शब्द की सभी को जरूरत है। हर किसी की जिंदगी में इसका विशेष स्थान है। इस रिश्ते के बिना जिंदगी कुछ अधूरी सी लगती है। बात दिल की हो या दर्द बांटने की..दोस्त का कंधा हर समय तैयार रहता है।

सच ही कहा है॥हर मंजिल हो जाती आसान, हर भवर में किनारा मिलता है। ऐ दोस्त तेरा साथ रहे, हर दर पर ठिकाना मिलता है। हो कोई भी गम या मजबूरी। दोस्त का दामन हर मुश्किल से निकाल देता है। पौराणिक हो या आधुनिक समय, सभी को दोस्ती से बल और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है। 'रामायण' की बात करते हैं। लंका पर चढ़ाई के लिए राम को सुग्रीव का साथ मिला। वानर राज सुग्रीव ने प्रभु राम को हर संभव मदद की, परिणाम लंका विजय और रावण वध।

अब बात करते है 'महाभारत' की। कर्ण ने दुर्योधन की मित्रता के लिए अपने सगे भाई पांडवों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सच है दोस्ती अपने ही बनाई जाती है और अपने ही तरीके से इसे निभाया भी जाता है।

4 Comments:

At August 3, 2008 at 12:08 PM , Blogger seema gupta said...

"very nicely written, liked reading this article"

Regards

 
At August 3, 2008 at 1:10 PM , Anonymous Anonymous said...

दोस्‍ती का
दामन मन से
आता है
इसलिए दोस्‍ती में
नहीं होता दरवाजा है
सिर्फ होती है चौखट।

- अविनाश वाचस्‍पति

 
At August 3, 2008 at 8:08 PM , Blogger सचिन मिश्रा said...

सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद

 
At August 3, 2008 at 8:08 PM , Blogger सचिन मिश्रा said...

सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद

 

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