तबाही का मंजर
पहले कोसी ने ढाया कहर
अब महामारी फैलने का डर
जिंदगी और मौत के बीच छिड़ी है जंग
दाने-दाने को मोहताज हैं लोग
हर तरफ है तबाही का मंजर
इंसानियत भी हुई तार-तार
लूटपाट और कालाबाजारी ने तोड़ी लोगों की कमर
पहले से ही टूट चुके लोगों पर लुटेरे ढा रहे हैं कहर
जंग सिर्फ मौत के सैलाब से नहीं, जिंदा नरपिशाचों से भी है
और बाढ़ के बाद महामारी से निपटने की चुनौती भी तो है.
3 Comments:
बहुत खूब कहा सचिन भाई.
ज़िन्दा नर पिशाच!
bahut hi samayik rachana .
क्या ऎसे समय भी इन पिशाचो को तरस नही आता दुखी लोगो पर ?
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