ये कैसे रईस?
अमीरों को भले ही गरीबों की सोहबत पसंद न हो, पर उनके लिए आवंटित राशन हथियाने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है। यानी ये लोग कहने को तो रईस होते हैं, पर राशन डकार जाते हैं गरीबों का। यह राशन बिना डकारे ही इन्हें हजम भी हो जाता है।
हम बात कर रहे हैं बीपीएल योजना की। इस योजना के तहत केंद्र सरकार गरीबों रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों के लिए सस्ते दामों पर राशन मुहैया करवाती है। जो शहरी लोग 538.60 रुपये प्रति माह से कम खर्च करते हैं, उन्हें बीपीएल में शामिल किया जाता है।
इसी प्रकार जो ग्रामीण 356.35 रुपये प्रति माह से कम खर्च करते हैं, उन्हें भी इसी सूची में रखा जाता है। इन परिवारों को चावल 5.65 रुपये प्रति किलो व गेहूं 4.15 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दिया जाता है। देश में करीब साढ़े छह करोड़ परिवार बीपीएल के तहत आते हैं।
इस योजना में इनकम टैक्स अदा करने वाले, करोड़ों रुपये की जमीन के मालिक, दुकानदार व अन्य ऊंची पहुंच वाले तो शामिल हो जाते हैं, पर जो वाकई गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, वह इस योजना का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।
10 Comments:
ये भी एक सच्चाई है!
वाकई सोचनीय स्थिति..
अजब बात है!!
"oh very strange it is"
Regards
बडे लोगो के तो नाम शामिल है ,यहा तो बीपीएल का करोडो का चावल रस्ते से ही गायब हो गया ,और मुख्य आरोपी अभी तक पकडाया भी नही
सही बात कह रहे हैं आप। यही हो रहा है।
और यह ज्यादातर इसीलिए होता है की राशन कार्ड आज भी इस हाईटेक युग में पहचान पत्र का स्टेटस रखता है, बैंक के कामकाज , फोन कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, मकान का नक्शा पास करवाने, पासपोर्ट आवेदन जैसे कामों में यह आज भी माँगा जाता है. इसकी उपयोगिता सीमित कर दी जाए तो अमीर इसे लेना भी कम कर देंगे.
सच !! क्या रईस है, मेने तो कही पढा था यह इन गरीबो के बने मकान पर भी कब्जा करने पर शर्म नही करते, यानि अमीर बनने के लिये यह कुछ भी कर सकते हे,क्या बात हे
धन्यवाद सुचना देने के लिये
पहली बार आपके ब्लाग मे आया ,ब्लाग अच्छा लगा !!रहा सवाल राशन का तो आपने सच कहा है।
sahamat hu. gambheer sthiti chal rahi hai.
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