धुएं में उड़ रहे आदेश
पुरानी फिल्म के एक गीत की दो लाइनें हैं.. 'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।' गाना नौजवानों को खूब भाया और उन्होंने अपनी फिक्र को भी जमकर धुएं में उड़ाया।
मगर अब सरकार ने इस धुआंधारी को साफ करने का मन बना लिया है। सरकार ने आम आदमी के लिए सार्वजनिक स्थलों में धूम्रपान प्रतिबंधित कर दिया। लेकिन तंबाकू उद्योग व उसके विज्ञापनों की ओर से आंख-कान बंद कर रखे हैं। ऐसे में कैसे नहीं उड़ेगा धुआं।
नशे की लत है ही ऐसी। एक बार जिस शख्स को लग जाए तो जल्दी छूटने का नाम ही नहीं लेती है। और कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें आदेश की परवाह ही नहीं है। इसी कारण सार्वजनिक स्थलों पर भी आदेश धुएं में उड़ रहे हैं। सिर्फ प्रतिबंध लगाने भर से क्या सार्वजनिक स्थलों पर लोग धुआं नहीं उड़ाएंगे? सरकार को इस बाबत सख्ती अपनानी होगी।
यह सोचने की जहमत शायद ही कोई उठाता हो कि सिगरेट-बीड़ी का धुआं उनकी ही नहीं, आस-पास मौजूद लोगों की सेहत पर भी गंभीर दुष्प्रभाव डाल रहा है। जरूरत है धुआं उड़ाने के बजाए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देकर नशा छोड़ने की।
5 Comments:
सरकार ने तो अपन काम कर दिया\अब देखे इस पर अमल कितना होता है।इस का धुआ तो परिवार के बच्चों को भी नुकसान पहुँचाता है\मगर यह समझता कौन है?
भारत मे हर कनुन का धुंया ऊडता हे इस का भी जरुर ऊडेगा.
धन्यवाद
aadesh laagoo na ho paney sey makhol bankar rah jaatey hain.
जरूरत है धुआं उड़ाने के बजाए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देकर नशा छोड़ने की।
' very well said and presented, but aaj kul will power he to nahee hai young generation mey'
regards
सिगरेट के डिब्बे पर चेतावनी छपी होती है। अब सर्वजनिक स्थान पर प्रतिबंध ्भी लगा दिया गया है।क्या सिगरेट के अलावा और कोई नशा नही बेचा जा रहा है इस देश मे।बहुत से सवाल है?मगर जो भी हो आपसे पूरी तरह सहमत हूं।
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