दोहरी नीति क्यों ?
सरकार एक तरफ तो तंबाकू और तंबाकू उत्पादों को जनता की पहुंच से दूर करने की कोशिश में नजर आती है, लेकिन दूसरी तरफ इन उत्पादों के छद्म विज्ञापनों की तरफ से आंखें मूंदे है। आखिर क्यों?
कानून के मुताबिक तंबाकू कंपनियों को उनके उत्पादों के विज्ञापन की अनुमति नहीं है। ऐसे में कई बड़ी कंपनियांे ने छद्म तरीके से अपने उत्पादों के प्रचार का तरीका अपना लिया है। गुटखा, तंबाकू, बीड़ी के विज्ञापन तो खुलेआम गली चौराहों पर नजर आ जाते हैं। फिर भी सरकार कुछ नहीं कर पाती है। ऐसा क्यों हो रहा है?
दरअसल, तंबाकू उद्योग से सरकार को भारी मात्रा में राजस्व मिलता है। इस उद्योग से उत्पाद शुल्क आदि भी सबसे ज्यादा वसूल किया जाता है। ऐसे में, इस पर नकेल कसना उसके लिए आसान नहीं होता है। जब तक सरकार दोहरी नीति अपनाती रहेगी, तब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा।
दूसरी ओर अधिकतर लोगों में भी दृढ़निश्चय की कमी है, इसीलिए वह नशा नहीं छोड़ पा रहे हैं। वह एक ओर तो वे कहते हैं कि चलो आज नशा कर लूं, कल से नहीं करूंगा। लेकिन वे ऐसा कर नहीं पा रहे हैं। कुछ लोग एक नशे को छोड़ने के चक्कर में दूसरे नशे का आदी हो जा रहे हैं। जब तक लोग नशा छोड़ने का संकल्प नहीं लेंगे और उस पर अमल नहीं करेंगे, तब तक वह नशा नहीं छोड़ पाएंगे।
3 Comments:
सही लिखा है। आपने जवाब में कि ये राजस्व का मामला है आपके सवाल का जवाब छुपा है।
जब हमारी इच्छा शाक्त्ति मजबुत होगी तो हम इसे छोड सकते हे, ओर अपने बच्चो को भी समझा सकते हे, सरकार को पेसा आ रहा हे, उसे क्या
धन्यवाद
ये मेरा इंडिया है और ये ऐसा ही है सचिन जी !!
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