Saturday, October 4, 2008

कर दिया शर्मसार

उस युवती का क्या कसूर था, जिसे उड़ीसा में भड़की हिंसा के दौरान ईसाई समझ लिया गया। इतना ही नहीं, कुछ संगठनों के लोगों ने पहले तो उसकी आबरू लूट ली गई और फिर उसे जिंदा जला दिया गया।

यह युवती पद्मपुर के महिला कालेज की छात्रा थी। और वह पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए अनाथालय में काम करती थी। इस घटना का खुलासा एक पादरी ने किया है। हो सकता है कि यह घटना किसी धर्म को बदनाम करने की साजिश हो। लेकिन इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।

क्या इस घटना से देशवासियों का सिर शर्म से नहीं झुक गया है। इस घटना ने तो भारतीय संस्कृति को शर्मसार कर दिया है। कहां हैं वे लोग जो यह कहते थे कि जहां नारियों को सम्मान मिलता है, वहां देवता का निवास होता है। क्या कोई भी धर्म यह सिखाता है कि मां, बहन और बेटियों को बेईज्जत करो।

इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले लोगों और आतंकियों में क्या फर्क है। क्या सरकार को ऐसे संगठनों पर तत्काल रोक नहीं लगा देनी चाहिए, जो निजी स्वार्थ की खातिर धर्म की आड़ में लोगों को भड़काकर इस तरह के अपराध करा रहे हैं।

क्या ऐसे लोगों को जिंदा छोड़ देना चाहिए? चाहे ये लोग किसी भी धर्म के हों, पर ये मानवता के सबसे बड़े दुश्मन हैं। सवाल यह नहीं है कि हम हिंदू हैं, मुसलमान हैं, सिख हैं या ईसाई। सबसे पहले हम लोग एक इंसान हैं। इसलिए जो गलत है, उसका तो विरोध होना ही चाहिए।

ऐसा नहीं कि अगर हम जिस धर्म के हैं तो उस धर्म के लोगों की गलतियों पर पर्दा डालना चाहिए। गुनाह तो आखिर गुनाह ही होता है, चाहे किसी ने उसे किया हो। यह जरूरी है कि उसे गुनाह की कठोर सजा मिले।

8 Comments:

At October 4, 2008 at 9:04 PM , Blogger महेन्द्र मिश्र said...

sharmanaak vakyaa. kya kahe ?

 
At October 4, 2008 at 9:15 PM , Blogger राज भाटिय़ा said...

दुनिया का कोई भी धर्म एसी बातो की इजाजत नही देता, लेकिन जो लोग धर्म की बात पर आ कर भडक उठते हे वह अपने अपने धर्म का ओर अपने ईशवर का अपमान करते हे, ओर यही लोग अपराधी है, ओर कातिल है इन मासुमो के , इन बलात्कारियो के समान ही दोषी है, इन्हे सोचना चाहिये कल इन के साथ भी कोई दुसरा यह सब कर सकता है, सभी धार्मिक पुस्तको मे एक शेतान जरुर होता है, ओर ऎसे लोग इस शेतान की ही ओलाद है.आईये हम इन से अलग रहे, ओर इंसान बने, दुसरो की मदद करे,किसी की आंख से एक आंसु पोछ के देखॊ कितनी खुशी मिलती है.
धन्यवाद

 
At October 4, 2008 at 9:33 PM , Blogger Anil Pusadkar said...

kalank hai insaniyat ke nam par.

 
At October 4, 2008 at 10:01 PM , Blogger jitendra said...

Chhattisgarh mein to haalaat aur bhi bekaar hai..dharmantaran ke naam par roz mahila ke saath ...................

Dharm samaaj ke liye kalank hain ..?

 
At October 5, 2008 at 4:07 AM , Blogger Udan Tashtari said...

दुखद..निन्दनीय एवं अफसोसजनक घटना!!

 
At October 5, 2008 at 4:19 AM , Blogger Nitish Raj said...

सच में बहुत ही घटिया और गिरा हुआ काम किया गया। शर्मनाक।

 
At October 7, 2008 at 8:49 AM , Blogger फ़िरदौस ख़ान said...

बेहद शर्मनाक...यही है कुछ लोगों का राष्ट्रवाद...

हमने अपने ब्लॉग में आपके ब्लॉग का लिंक दिया है...

 
At October 10, 2008 at 8:06 PM , Blogger Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

बता रहे इस घटना को, जो हिन्दू का काम.
उनकी बुद्धि भ्रष्ट है, उनका निकला राम
निकल गया है राम,नहीं इतिहास समझते.
इसाई षङ्यंत्रों की ना बात समझते.
यह साधक कवि,परम्परा का पता दे रहे
झूठे हैं सब लोग, जो हिन्दू का बता रहे.

 

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