Monday, November 3, 2008

रक्षक या भक्षक?

जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो क्या होगा? हरियाणा पुलिस के कारनामें ही कुछ ऐसे हैं। कभी वह महिला के रेप को लेकर चर्चा में रहती है तो कभी निर्दोष टैक्सी ड्राइवर को गोली से उड़ा देने पर।

इस बार एक बेगुनाह युवक को पुलिस ने अपराधी समझकर एनकाउंटर में मार गिराया। हालांकि पुलिस इसे गलतफहमी का नतीजा बता रही है, लेकिन इनकी करतूत ने दो परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया।

जो युवक पुलिस की गोलियों का शिकार बना, उसकी 15 दिन बाद शादी होने वाली थी। ऐसे पुलिस वालों को क्या इनाम दिया जाए? क्यों आए दिन बेगुनाहों के खून से लाल हो रही है खाकी?

3 Comments:

At November 4, 2008 at 2:50 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

सचाई क्या है, तब तक कोई क्या बोले,वेसे ऎसे कारनामे कई सालो से हो रही है.

 
At November 4, 2008 at 7:20 AM , Blogger Udan Tashtari said...

अभी टीवी पर देखा..शर्मनाक!!

 
At November 4, 2008 at 10:18 AM , Blogger Unknown said...

ऐसे पुलिस वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी दी जानी चाहिए.

 

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