Tuesday, November 25, 2008

फिर हुए शर्मशार

राष्ट्र के प्रति हम इतने गंभीर और जागरूक हैं तभी तो कभी राष्ट्रीय ध्वज को उल्टा फहरा दिया जाता है तो कभी जमीन पर गिरा दिया जाता है, और कभी समारोह खत्म होने के बाद उसे पैरों तले रौंदा जाता है।

इस बार हरियाणा के अंबाला में एक दुकान पर ग्राहकों को नाश्ता और खाना परोसने के लिए ऐसी कागजी प्लेटों का इस्तेमाल किया गया, जिन पर राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान अंकित था।

इस घटाना ने फिर से लोगों को शर्मसार कर दिया है। हर साल इस तरह की सैकड़ों घटनाएं होती हैं। कहा जाता है कि अनजाने में ऐसा हो गया। लेकिन बार-बार ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं?

4 Comments:

At November 25, 2008 at 11:41 PM , Blogger Anil Pusadkar said...

क्योँकि लातोँ के भूत बातोँ से नही मानते.

 
At November 26, 2008 at 1:32 AM , Blogger राज भाटिय़ा said...

अजी शर्म तो हम भुल गये बस बार बार शार ही हो रहे है.
धन्यवाद

 
At November 26, 2008 at 10:10 AM , Blogger seema gupta said...

सच मे बहुत शर्मनाक वाकया है ...

Regards

 
At November 26, 2008 at 5:48 PM , Blogger तरूश्री शर्मा said...

उफ... बेहद शमर्नाक। प्लेट्स बनाने वाले से लेकर परोसने वालों तक किसी की ध्यान नहीं गया। तिरंगे की ऐसी बेकद्री पर किसे कोसा जाए। कहीं ना कहीं खुद को भी।

 

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