Thursday, November 27, 2008

कैसे भरेंगे जख्म?

जब दिल्ली दहल रही थी तो गृहमंत्री शिवराज पाटिल कपड़े बदल रहे थे। और इस बार जब मुंबई दहल रही थी तो गृह मंत्रालय को यह समझ में नहीं आ रहा था कि संकट की इस घड़ी में क्या किया जाए, उसे कई घंटे संभलने में ही लग गए। इतनी देर में अस्सी से ज्यादा लोगों की जान चली गई, और करीब दो सौ लोग जख्मी हो गए। मुंबई पुलिस ने करकरे और सालस्कर जैसे जांबाज खो दिए। अब क्या वे लौट आएंगे? केंद्र हर बार ऐसा रवैया क्यों अपनाता है?

अब भले ही घडि़याली आंसू बहाए जाएं। नेता कहें घटना अफसोसजनक है, दुखद है, निंदनीय है। पर इससे क्या जिन लोग ने अपनों को खोया है, उनके जख्म भर पाएंगे?

चोरी छिपे इधर-उधर विस्फोट करने वाले आतंकी भी अब भले ही खुलकर चुनौती देने लगे हों, पर केंद्र अपनी करनी में जरा सा भी बदलाव नहीं लाया है। देशवासी नित आतंक के नए-नए रूप देख कर विचलित हैं। आतंकवाद से निपटने के लिए कोई सख्त कानून क्यों नहीं बनाया जाता?

विपक्ष को भले ही ऐन वक्त पर बड़ा मुद्दा हाथ लग गया हो और वह चुनाव में इसे भुनाए भी, पर अवाम कैसे महफूज रहे? कब तक ऐसे आतंकी हमले होते रहेंगे?

5 Comments:

At November 27, 2008 at 9:54 AM , Blogger Arun Arora said...

सरकार सेना और संतो को आतंकवादी सिद्ध करने जैसे निहायत जरूरी काम मे अपनी सारी एजेंसियो के साथ सारी ताकत से जुटी थी ऐसे मे इस इस प्रकार के छोटे मोटे हादसे तो हो ही जाते है . बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये , सरकार को सबसे बडा धक्का तो यही है कि अब उनकी जगह कौन लेगा बाकी पकडे गये लोगो के जूस और खाने के प्रबंध को देखने सच्चर साहेब और बहुत सारे एन जी ओ पहुच जायेगी , उनको अदालती लडाई के लिये अर्जुन सिंह सहायता कर देगे लालू जी रामविलास जी अगर कोई मर गया ( आतंकवादी) तो सीबीआई जांच करालेगे पर जो निर्दोष नागरिक अपने परिवार को मझधार मे छोड कर विदा हो गया उसके लिये कौन खडा होगा ?

 
At November 27, 2008 at 10:20 AM , Blogger seema gupta said...

बहुत निंदनीय दर्दनाक हादसा है, और फ़िर अगर जख्म भरने के लिए हों, तो फ़िर दिए ही न जायें .... जख्म दिए जातें हैं नासूर बनने के लिए...और ये आतंकवादी यही तो कर रहें हैं "

 
At November 27, 2008 at 12:19 PM , Blogger परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत दुखद हादसा है। सच है जिन लोगो के परिवार वाले मारे गए होगें उन का यह जख्म कभी नही भरेगा।कुछ कहते नही बन पा रहा।

 
At November 27, 2008 at 11:15 PM , Blogger राज भाटिय़ा said...

यह वो जख्म है जो कभी नही भर सकते ,ओर इन जख्मो को देख कर दुनिया की पहली निक्कम्मी सरकार याद आयेगे, एक कमीनो ओर हिजडो की सरकार जो सिर्फ़ कुर्सी के लिये यह सब देख रही है, ओर हमे मरवा रही है, लानत है ऎसी सरकार पर, थु है

 
At November 29, 2008 at 5:13 AM , Blogger महेन्द्र मिश्र said...

दमदार नेता देश में न होने के कारण हजारो बेगुनाह लोगो की जाने जा रही है अब समय आ गया है कि इनसे निपटने एक जल्दी कार्य योजना बनाई जाए . नेताओ की करनी और कथनी में अन्तर है और इसका खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ रहे है .

 

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