Thursday, May 22, 2014

लोकतंत्र के मंदिर में नमो का नमन


नई दिल्ली में मंगलवार को संसद भवन पहुंचे नरेंद्र मोदी ने मुख्य द्वार की सीढिय़ों पर शीश नवाया।

Monday, April 8, 2013

शर्म मगर इनको नहीं आती..

बेशर्म जुबान, बेतुके बयान..शर्म मगर इनको नहीं आती..सफेदपोशों के ये बयान क्या अवाम की दुखती रग पर नमक छिड़कने से कम हैं.. बांध में पानी नहीं तो क्या हम उसमें पेशाब करके दें: महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने सूखे से जूझते किसानों की तरफ से हो रही पानी की मांग का मजाक उड़ाते हुए उन्होंने कहा कि जब बांध में पानी है ही नहीं तो क्या पेशाब करके दें पानी? उन्होंने एक जनसभा में मुंबई के आजाद मैदान में एक सूखा पीडि़त किसान के अनशन करने का मजाक उड़ाया। पवार ने अनशनकारी किसान के संदर्भ में कहा कि वह पिछले दिनों से अनशन पर है। यदि डैम में पानी नहीं है तो हम किस तरह पानी छोड़ें? क्या हमें उसमें पेशाब करना चाहिए? यदि पीने के लिए पानी नहीं है तो पेशाब होना भी तो संभव नहीं है।' यह बात उन्होने पुणे जिले के इंदापुर तहसील के एक गांव में कही। राज्य में बिजली गुल होने पर मजाक में उन्होंने कहा कि मैंने गौर किया है कि जब से रात में बत्तियां गुल हो रही हैं बच्चे अधिक पैदा हो रहे हैं। तब करने को और कोई काम नहीं रह जाता। हालांकि इस बयान को लेकर पूरे महाराष्ट्र में हो रही आलोचना और विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पवार ने बाद में माफी मांग ली। गांव वालों के अच्छा खाने से बढ़ी महंगाई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर डी. सुब्बाराव का कहना है कि देश में महंगाई बढ़ने के लिए गांव में रहने वाले लोग जिम्मेदार हैं। आरबीआई चीफ ने कहा गांव वालों की आमदनी बढ़ रही है, इसलिए वे दूध, फल, मटन खाने लगे हैं, जिससे चीजें महंगी होने लगी हैं और देश को महंगाई का सामना करना पड़ रहा है।

Saturday, March 23, 2013

रेप पर इनके बोल रेप से कम नहीं!

रेप की घटनाएं न सिर्फ पीडि़तों के जीवन पर कहर बनकर टूटती हैं बल्कि परिवार और समाज पर भी धब्बा होती हैं। ऐसी घटनाएं आधी आबादी (महिलाओं) के मन में खौफ पैदा करती हैं। हमारा समाज और नेतृत्व महिलाओं को इस खौफ से निकालने के बजाए उन पर और अधिक पाबंदी लगाने की वकालत करता है। यह तथ्य हाल फिलहाल में दिए गए नेताओं के बयानों से स्पष्ट होता है। इतनी पुरानी औरत से कौन करेगा रेप देश में महिलाओं के सम्मान को लेकर छिड़ी बहस के बीच उत्तर प्रदेश के देवरिया के अपर पुलिस अधीक्षक ने रेप पीडि़ता के जख्मों पर नमक छिड़कने सरीखा काम किया है। दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने की फरियाद लेकर पहुंची महिला को राहत देने की बजाय उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह टिप्पणी की कि 'इतनी पुरानी औरत से कौन रेप करेगा।' बनकटा थाना क्षेत्र के दलन छपरा गांव की एक विवाहिता के साथ एक युवक ने रेप किया था। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज न किए जाने से दुखी महिला पति के साथ अपर पुलिस अधीक्षक केशव चंद्र गोस्वामी से मिलने पहुंची। गोस्वामी महिला से मिले तो जरूर लेकिन रेप की घटना को उन्होंने झुठला दिया। उन्होंने साथ आए परिजनों से पूछा कि महिला की शादी कितने साल पहले हुई? उसके कितने बच्चे हैं? पंद्रह साल पहले शादी होने का जवाब मिलने पर उन्होंने तपाक से टिप्पणी कर दी कि 'इतनी पुरानी औरत के साथ कौन रेप करेगा।' रेप के लिए जनसंख्या जिम्मेदार बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि महानगर समेत राज्य में रेप की घटनाओं में वृद्धि के लिए जनसंख्या में बढ़ोतरी जिम्मेदार है। बंगाल सहित देश भर में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। ममता ने कहा जनसंख्या बढ़ने के साथ वाहनों की संख्या, ढांचागत सुविधाएं व शापिंग मॉल की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे लड़के व लड़कियां आधुनिक हो रही हैं। क्या आप इसका स्वागत करते हैं? रेप के मामले में हुड्डा सरकार का सोनिया ने किया था बचाव यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी इसी साल नौ अक्टूबर को हरियाणा में रेप पीडि़तों से मिलने गईं थी, तब उन्होंने भी हुड्डा सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि रेप की घटनाएं तो पूरे देश में हो रही हैं। लेकिन सोनिया गांधी ये नहीं बता पाईं थी कि पूरे देश में रेप क्यों हो रहे हैं? इसका जबाव हरियाणा की ही खाप पंचायत के एक नेता ने दे दिया। फास्ट फूड के कारण होता है रेप हरियाणा का एक नेता जींद जिले की खाप के नेता जीतेंद्र छत्तर ने कहा कि फास्ट फूड खाने से युवक-युवतियों का हार्मोनल संतुलन बिगड़ रहा है जिस कारण रेप जैसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने हरियाणा में हो रहीं रेप की घटनाओं का दोष चीन के चाऊमीन पर मढ़ दिया। 90 प्रतिशत मामले से सहमति से सेक्स का दुष्परिणाम हरियाणा के ही एक और कांग्रेसी नेता तो इससे भी आगे निकल गए। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य व प्रवक्ता धर्मवीर गोयत ने क्क् अक्टूबर को हिसार में कहा कि हरियाणा में सामने आए रेप के च्यादा मामले दरअसल सहमति से सेक्स के मामले हैं। मुझे यह बोलने में कोई संकोच नहीं है कि 90 फीसदी मामलों में युवतियां सहमति से जाती हैं। आगे आपराधिक प्रवृत्ति के लोग मिल जाते हैं जो उनके शिकार के लिए तैयार रहते हैं। युवती को पता नहीं होता कि आगे भ्-7-क्0 लोग हैं। फिर वह कहती है कि हमारे साथ गैंगरेप हुआ है। भगवान की इच्छा से होता है रेप अमेरिका नेता बलात्कार के कारणों पर भारतीय नेता और खाप नेताओं से अमेरिका सेनेट पद के एक प्रत्याशी च्यादा पीछे नहीं हैं। अमेरिका के मिजौरी प्रांत से रिपब्लिकन पार्टी के सेनेट प्रत्याशी टॉड एकिन ने कहा उन्होंने कहा कि लेजिटमेट रेप यानी वैध बलात्कार होने पर महिलाओं का शरीर ही गर्भधारण को रोक सकता है। जब एकिन से पूछा गया कि क्या वे गर्भपात का विरोध तब भी करेंगे, जब गर्भ की वजह रेप हो तो उन्होंने कहा, डॉक्टरों के अनुसार मैं ये समझता हूं कि ऐसा होना असामान्य है। अगर सचमुच में रेप हुआ है तो महिला का शरीर उस पूरी प्रक्रिया को रोक सकता है। लेकिन अगर मान लें कि ऐसा नहीं हुआ तो मुझे लगता है कि सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन बच्चे को नहीं बल्कि रेपिस्ट को। टॉड एकिन ने जहां रेप पीडि़त महिलाओं को गर्भ ढोने की सलाह दी वहीं सीनेट के एक और उम्मीदवार रिचर्ड मर्डोक ने तो रेप को भगवान की इच्छा से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला रेप के बाद गर्भवती हो जाती है तो समझ लीजिए, इसमें भगवान की कोई इच्छा है। ऐसा भगवान की इच्छा के बगैर नहीं हो सकता। ऐसा नहीं है कि रेप के मामलों में असंवेदनशील बयान अभी दिए जा रहे हैं। बल्कि बहुत जिम्मेदार लोगों ने भी रेप की घटनाओं पर असंवेदनशील बयान दिए हैं। रेप छोटी-मोटी घटना टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य रही किरण बेदी ने तो एक बार मीडिया से बातचीत में रेप को छोटी-मोटी घटना बता दिया था। बेदी ने कहा था मीडिया भ्रष्टाचार के मामले को सही से नहीं उठा रहा है। इसके बदले वह रेप की छोटी घटना पर बहस कर रहा है। मीडिया भी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारी द्वारा किए गए रेप को बहस का मुद्दा बना रहा है। रेप से बचना है तो घर से बाहर न निकले महिलाएं गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर तो रेप के मामले बढ़ने पर महिलाओं को घर में बंद रहने की सलाह दे चुके हैं। इसी साल मार्च में रेप की ताबड़तोड़ वारदातों के बाद गुड़गांव पुलिस ने साफ कह दिया था कि अगर रेप से बचना है तो महिलाओं को घर में ही बंद रहना चाहिए। अगर वह घर से बाहर निकलती हैं तो अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद ही संभालें। लगातार दो दिन गैंगरेप के मामले सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने रात आठ बजे के बाद महिलाओं के ड्यूटी करने पर रोक लगाने का हुक्म दिया था। रेप के लिए फैशनेबल कपड़े जिम्मेदार आंध्र के डीजीपी व महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री आंध्र प्रदेश के डीजीपी वी. दिनेश रेड्डी और कर्नाटक के महिला और शिशु कल्याण मंत्री सीसी पाटिल ने बेहद चौंकाने वाले बयान दिए थे। रेड्डी ने कहा कि महिलाओं के हल्के कपड़े रेप के लिए जिम्मेदार हैं वहीं, पाटिल ने कहा था कि महिला को पता होना चाहिए कि उन्हें कितनी चमड़ी (स्किन) ढंकनी है। रेड्डी ने एक बयान में कहा था, पुरुषों को भड़काने वाले महिलाओं के फैशनेबल और झीने कपड़े रेप के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है। कर्नाटक के महिला और शिशु कल्याण मंत्री सी सी पाटिल ने रेप से बचने के लिए महिलाओं को हिदायत देते हुए कहा था, मैं निजी तौर पर इस हक में नहीं हूं कि महिलाएं भड़काऊ कपड़े पहनें और यह सोचें कि वे चाहे जो पहनें उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाए। बच्चों को ढील देने का दुष्परिणाम ममता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मानती हैं कि बच्चों को ढील दिए जाने के कारण रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं। ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि पहले लड़के-लड़की अगर हाथ पकड़कर चलते थे तो उनके पैरंट्स उन्हें डांट देते थे, लेकिन अब तो सब खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। इससे भी समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं। मीडिया पर भी तंज कसते हुए उन्होंने कहा था कि नेगेटिव खबरें दिखाने से समाज पर बुरा असर पड़ता है इसलिए मीडिया को रेप की खबरें दिखाने से बचना चाहिए। रेप होने पर मिलेगी सरकारी नौकरी उत्तर प्रदेश के नेताओं का हाल तो और भी निराला है। यूपी में विधानसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तो बकायदा रेप भत्ते की ही घोषणा कर दी थी। इस साल हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सिद्धार्थनगर जिले में एक चुनावी रैली में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो रेप के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे और रेप पीडि़तों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। मुलायम सिंह यादव की पार्टी अभी सत्ता में हैं, लेकिन राच्य में अपराध या रेप की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।

Saturday, May 1, 2010

मई दिवस है तो क्या


दास्तां पुरानी : रोजी-रोटी के लिए कड़ी मशक्कत करती इस महिला को शायद ये आभास नहीं कि कल शनिवार को हमारा दिन यानी मई दिवस है। सवा सौ साल पहले इसी दिन मजदूरों ने आठ घंटे काम का अधिकार हासिल किया था। यह महिला अपनी बानगी में प्रतिदिन की तरह रोजी-रोटी की लड़ाई लड़ रही है। लड़े भी क्यों न, इसके लिए तो सभी दिन एक जैसे हैं। और यह चिंता भी सताती है कि काम नहीं करूंगी तो चूल्हा कैसे जलेगा। क्या खुद खाऊंगी और क्या इस जिगर के टुकड़े को खिलाऊंगी। मई दिवस पर कहीं सभाएं होंगी तो कहीं समारोह। मजदूरों को बेहतर जीवन देने के बडे़-बडे़ वादे भी होंगे, लेकिन क्या ये वादे बदल पाएंगे इनकी जिंदगी?

Monday, April 12, 2010

उफ ये गर्मी


उफ! अभी से ये गर्मी तो मई और जून में क्या होगा? हर किसी की जुबान से बरबस यहीं निकल रहा है। झुलसा देने वाली गर्म हवाओं से पूरा उत्तर भारत बेहाल है।
ऐसे बचें गर्मी से
- ज्यादा भारी काम न करें। तंग जगह व खुली हवा न मिलने वाली जगह पर काम करने से बचें।
- तरल पदार्थ व नमक का अधिक प्रयोग करें, जैसे नींबू पानी, शरबत, स्कवैश इत्यादि।
- दिन में आठ-दस गिलास पानी जरूर लें।
- सूती, हल्के रंग व पूरे शरीर को ढंकने वाले ढीले कपड़े पहनें।
- छोटे बच्चों को धूप में बाहर न निकलने दें।
- धूप में जाने के लिए छतरी का इस्तेमाल करें।
- आंखों पर सनग्लासेज व सिर पर टोपी पहनें।
- खुराक में एंटी ऑक्सीडेंट व विटामिन ए की मात्रा अधिक रखें।
- सब्जियां, तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, खीरे, मूली, गाजर व फलों को अधिक खाएं।
- शराब का सेवन न करें।
- नींबू का सेवन करें। इससे विटामिन सी मिलने के साथ पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है।
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Monday, March 22, 2010

ये कैसे नेता

नेताओं ने शायद यह ठान ही लिया है कि हम नहीं सुधरेंगे। तभी तो वो किसी न किसी बहाने आए दिन चर्चा में बने रहना चाहते हैं। भले ही ये जम्हूरियत में कहते हैं कि जनता ही जनार्दन होती है। आप और हम भगवान होते हैं, लेकिन ये कहने की बात है। असल में ऐसा होता नहीं है। जिस दिन बटन दबाना होता है, उस दिन हम बादशाह होते हैं, लेकिन बटन दबाने के फौरन बाद ये बादशाहत खत्म हो जाती है और हमारे बादशाह बन जाते हैं हमारे प्रतिनिधि, हमारे नेता। लेकिन यहां तो नजारा कुछ और ही है। नेताओं का वोटरों को पटाने के लिए रिश्वत देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन बंगलूरु महानगर पालिका चुनावों के दौरान एक नेता ने तो हद ही कर दी। यहां मतदान वाले दिन ही नोट बांट रहे इस नेता ने एक महिला वोटर के ब्लाउज में ही पैसे डाल दिए। ऐसे नेताओं के साथ क्या सलूक होना चाहिए? कब सुधरेंगे ये नेता?
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Sunday, March 14, 2010

तो क्या करें महिलाएं

एक ओर संसद में महिलाओं का बराबरी का हक दिलाने के लिए खींचतान जारी है, दूसरी ओर धर्मगुरु अपना अलग ही राग अलापने में लगे है। राजनीति में आने के लिए मर्द बनने वाले बयान के बाद एक और मौलाना ने महिलाओं के राजनीति में आने पर ऐतराज जताया है।

शिया धर्मगुरु का कहना है कि खुदा ने महिलाओं को अच्छी नस्ल के बच्चे पैदा करने के लिए बनाया है वे यही करे इसी में सबका भला है। यदि महिलाएं घर छोड़कर राजनीति में आ जाएंगी तो परिवार और बच्चों को कौन संभालेगा। राजनीति महिलाओं का काम नहीं है। महिलाएं अगर अपना फर्ज छोड़ देगी तो अच्छे नेता कैसे आएंगे।

कोई कहता है कि महिलाएं अकेली मंदिर में न जाएं तो कोई कहता है कि वह राजनीति में आने के लिए मर्द बनें तो कोई कहता है कि वह नेता न बनें, नेता पैदा करें..अब आप ही बताएं कि क्या करें महिलाएं?