19 साल बाद ये इंसाफ
उसने इसलिए आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वह अपने साथ हुई छेड़खानी बर्दाश्त नहीं कर सकी थी। उसकी सहेली और उनके माता−पिता ने 19 साल इंसाफ की लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में इन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। मगर उन्हें ही नहीं हर किसी को मलाल है कि इस मामले में दोषी को सजा मिली सिर्फ छह माह।
कोर्ट में सजा सुनने के बाद हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ जिस तरह मुस्कुराते हुए कोर्ट से बाहर निकला था, उसे देखकर पूरे देश और लीगल सिस्टम का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए। भले ही अदालत का कहना है कि अधिक आयु होने के कारण दोषी को कम सजा हुई, मगर यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है।
अब भले ही इस मामले पर सियासी दल अपनी-अपनी रोटियां सेंक रह हों, उस समय कहां थे जब रुचिका गिरहोत्रा के भाई को चोरी के आरोप में पीटा जा रहा था, उसे झूठे मुकदमें में फंसा दिया गया था। इस मामले की पैरवी करने वाले पर भी सितम ढाए जा रहे थे और राठौड़ की तरक्की हो रही थी।
14 साल की एक उभरती टेनिस खिलाड़ी का यौन शोषण करने और उसे खुदकुशी के लिए मजबूर करने वाले एक बड़े पुलिस अधिकारी को क्या सिर्फ छह माह जेल व एक हजार रुपये की सजा होनी होनी चाहिए?
19 साल बाद मिला...वो भी ये इंसाफ...रुचिका कैसी करेगी माफ ...अगर ये रसूखदार न होते तो क्या ऐसे ही बच जाते?