...कब आती है शर्म
उन्हें तब शर्म नहीं आती, जब मकान के आगे एक बड़े से बोर्ड पर यह लिखा हुआ दिखता है कि यहां कमरें खाली हैं। न ही किराएदार रखने में शर्म आती है। न ही जब मकान में कोई कमरा खाली होता है तो दूसरे किराएदारों से यह कहने में कि कोई पूछे तो बता देना कि हम जहां रहते हैं, वहां कमरा खाली हुआ है। न ही किराएदारों से मनमाना किराया और बिजली-पानी का बिल वसूल करने में।
शर्म तो तब आती है, जब किराएदार उनसे किराए की रसीद मांगते हैं तो उसे देने में। या फिर बिजली, पानी, टेलीफोन के बिल की फोटोकापी और राशन कार्ड की फोटोकापी देने में। यह लिख कर देने में भी शर्म आती है कि ये हमारे मकान में कितने साल से रह रहे हैं, और इनका मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड बनने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है।
थाने में किराएदारों का पंजीकरण कराने में भी वो सकुचा जाते हैं। भले ही किराएदारों का पंजीकरण न कराने पर जुर्माने का प्रावधान हो, पर इन्हें कहां परवाह। इन्होंने तो बस मानों ठान ली है कि हम नहीं सुधरेंगे। तभी तो ऐसा कर रहे हैं।
फिर किराएदार कैसे बनवाएं मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड। ऐसा नहीं है कि सभी मकान मालिकों की मानसिकता इस प्रकार की है, पर अधिकांश की जरूर है। हो सकता है कि जो आज किसी मकान के मालिक हैं, वे भी तो कभी किराएदार रहे होंगे? तब हो सकता है कि इनके साथ ये सब मुश्किलें पेश आई हों, इसीलिए शायद ये उसे ब्याज समेत वसूल रहे हैं।
जब राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की मनमानी हो रही है तो शहरों के क्या कहने..किसी के मकान में किराए से रहना क्या गुनाह है? मकान मालिकों की किराएदारों के प्रति ये कैसी मानसिकता है? क्या इसका कोई इलाज नहीं? ये कब सुधरेंगे?
9 Comments:
क्या दिल्ली में मकान मालिक ऐसा करते है ? .... तब तो किराएदार बनकर रहने में लोगों को बहुत मुश्किल होती होगी .... बर्दाश्त करने के सिवा किराएदारों के सामने कोई उपाय नहीं होता है क्या ?
सही कहा एक किरायेदार ही ये दुःख समझ सकता है ....
अनिल कान्त
मेरा अपना जहान
सही कहा!१
सही कहा!१
राम राम .. अब एक बेचारी शर्म है किस किस के पास जाये??? किरायेदारो के, मकान मालिक, वोटर के पास, नेता के पास, हिन्दु या मुस्लिम... बो बेचारी चक्करा सी गई है, ओर अपना सर पकड कर सडक किनारे बेठ गई, इसी लिये हम सब को शर्म नही आती....
धन्यवाद
शर्म उनको मगर नहीं आती !
सही कहा आपने।गणतंत्र दिवस की अग्रिम बधाई।
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बिलकुल सही बात कही आपने. दिल्ली में रहने के चलते मैं आपका दर्द समझ सकता हूँ. अक्सर मकान मालिक ऐसी हरकतें करते हैं. बेहतर होगा की किरायेदार मकान लेने से पहले "रेंट अग्रीमेंट" बनवा लें. इस बिना पर आप का बैंक खता खुल सकता है. रही बात वोटर कार्ड बनवाने की तो इसके लिए आपको फॉर्म नंबर ६ भरकर नजदीक के कार्यालय में जमा करना होगा. राशन कार्ड बनवाने के लिए भी जरुरी नहीं है के मकान मालिक अपने राशन कार्ड की फोटोकॉपी दे या राशन कार्ड पर लिख कर दे. आपके लिखित अनुरोध पर राशन दफ्तर के अधिकारी आपके पड़ोसियों से आपके बताये पते पर रहने की जांच कर आपका राशन कर बना देंगे.
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