Friday, January 9, 2009

लूट सको तो लूट लो (6)

हड़ताल से भले ही किसी का खास फायदा न हुआ हो, पर उन्होंने खूब चांदी कूटी। कूटते भी क्यों न आखिर ऐसा मौका बार-बार तो आता नहीं है। इसीलिए मौके की नजाकत समझते हुए उन्होंने तीन सौ पांच रुपये में मिलने वाला रसोई गैस सिलेंडर आठ सौ रुपये तक ब्लैक में बेचा। और उन्होंने प्रति किलो गैस भी सौ से लेकर एक सौ बीस रुपये किलो तक बेची।

जिनके पास रसोई गैस कनेक्शन नहीं थे, उन्होंने मजबूरी में खरीदी। अगर न खरीदते तो खाना कैसे बनता। कईयों की तो पेट्रो मैक्स या छोटे गैस सिलेंडर में एक किलो गैस भरवाने में ही पूरी दिहाड़ी खत्म हो गई। इन लोगों ने भले ही हड़ताल करने वालों और सरकार को कोसा हो, पर रसोई गैस की कालाबाजारी करने वाले यहींकह रहे होंगे कि रोज इसी तरह हड़ताल होती रहे और अपनी पौ बारह होती रहे।
[क्रमश:]

2 Comments:

At January 10, 2009 at 12:01 AM , Blogger Dr. Ashok Kumar Mishra said...

अच्छा लिखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बयान करते हैं आपके शब्द ।

http://www.ashokvichar.blogspot.com

 
At January 10, 2009 at 2:28 PM , Blogger राज भाटिय़ा said...

हडताल करवाने वाली भी तो यही सरकार होगी नकाव पहन कर.
धन्यवाद

 

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