Sunday, July 19, 2009

ये कैसा फरमान?


सरकार भले ही जाति पंचायत के अस्तित्व को नकारती रही हो, इसके बावजूद देश में जाति पंचायतों का प्रभुत्व देखने को मिल ही जाता है। हरियाणा के झज्जर जिले के ढराना गांव की पंचायत पत्नी को बहन बताकर गांव से निकालने पर आमदा है।

ढराना में रहने वाले रविंद्र ने जब दो माह पहले शिल्पा से विवाह किया था, तब शायद उसने सोचा भी नहीं होगा जिससे वह विवाह कर रहा है उसे उसके गांव की पंचायत गोत्र के आधार पर उसे उसकी बहन बना देगा। लेकिन ऐसा ही हुआ। गांव की पंचायत ने इस विवाह को अवैध करार दिया है, और रविंद्र को तलाक लेने के लिए कहा। लेकिन रविद्र शिल्पा से तलाक लेने के लिए राजी नहीं है, जिसके बाद पंचायत ने उसे उसके परिवार सहित गांव से बाहर निकल जाने का आदेश दिया है।

गांव की पंचायत का कहना है कि चूंकि लड़की का गोत्र कादियान है, इसलिए वह हमारे गांव में बहू बनकर कैसे रह सकती है। गोत्र के लिहाज से वह हमारे गांव की बेटी लगती है, ऐसे में वह हमारे गांव के लड़के के साथ्रा विवाह कर के यहां नहीं रह सकती है। रविवार को पंचायत के लोग इस फैसले को तामील कराने के लिए दल-बल के साथ ढराणा रवाना हुए। इस बीच, रास्ते में मौजूद पुलिस बल ने जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो गुस्साए ग्रामीणों ने उन पर भारी पथराव कर दिया।

चूंकि हरियाणा में जातिवाद की जड़े बहुत गहरी हैं, यही वजह है कि प्रमुख सियासी दल भी इस मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। मगर ऐसा कब तक होता रहेगा? और कब तक पंचायतें इस तरह के तुगलकी फरमान सुनाती रहेंगी?

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