कौमार्य परीक्षण
मध्य प्रदेश में कन्यादान योजना के तहत विवाह अनुदान लेने वाली कन्याओं की कौमार्य जांच के साथ-साथ गर्भ परीक्षण क्या उचित है? क्या इससे इस तरह की योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार रुकेगा। क्या यह नारी जाति का मजाक नहीं?सरकार भले ही यह कह रही हो कि यह कौमार्य परीक्षण नहीं था। मगर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर सरकार को शादी के लिए पैसा देना हो तो दे, और न देना हो तो न दे। मगर सार्वजनिक स्थान पर किसी कन्या की बेइज्जती कतई न करे।
राज्य के शहडोल जिले में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत बीते तीस जून को एक सामूहिक विवाह समारोह में विवाह से पहले कन्याओं का कौमार्य जांचा गया। साथ ही, गर्भ परीक्षण भी हुआ। बताया जाता है कि इस टेस्ट में 14 लड़कियां ऐसी निकली, जो गर्भवती थी। जब मामला तूल पकड़ने लगा तो सरकार ने सफाई दी कि ऐसी तमाम योजनाओं में दलाल नवविवाहिताओं को शामिल कर सरकारी रकम लूटने की कोशिश करते रहे हैं। इस कारण सरकार ने यह कदम उठाया। साथ ही, सरकार ने कौमार्य जांच कराने को गलत मानने से इनकार कर दिया।
क्या इस तरह की योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार रोकने के नाम पर कन्याओं के कौमार्य व गर्भ परीक्षण कराना मानवाधिकारों के हनन के साथ ही समूची नारी जाति का घोर अपमान नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह इस तरह की योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार निगरानी के जरिए रोके और नारी की गरिमा की रक्षा करे। न कि कौमार्य व गर्भ परीक्षण से।
2 Comments:
सही है , इस कृत्य की कोई सफाई नही दी जा सकती।
इस मुद्दे पर कल ही चोखेरबाली पर एक लेख आया है चाहें तो पढ सकते हैं -http://blog.chokherbali.in/2009/07/blog-post_13.html
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2009/07/blog-post_14.html
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