Friday, July 10, 2009

हम नहीं सुधरेंगे




भले ही जगह-जगह यह लिखा हुआ मिल जाए कि दुर्घटना से देर भली घर पर बच्चे आप की प्रतीक्षा में होंगे...मगर इन्हें जो अपनी जान से जरा सा भी प्यार होता या फिर परिजनों की चिंता होती तो क्या ऐसे जान-जोखिम में डाल कर सफर करते? फिर भी हम तो यहीं दुआ करते है कि ये सही-सलामत अपनी मंजिल तक पहुंच जाएं।

4 Comments:

At July 11, 2009 at 6:21 AM , Blogger Udan Tashtari said...

हद हो गई भाई!!

 
At July 11, 2009 at 11:05 AM , Blogger राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

वो सब कुछ तो ठीक है.....मगर भाई जी इसमें हमें तो ढूँढ कर दिखाईये......हिंट्स....ब्लू शर्ट....काली पैंट....!!

 
At July 11, 2009 at 2:45 PM , Blogger राज भाटिय़ा said...

क्यो सुधरे ? क्या जरुरत है जी... हम सब आजाद है

 
At July 11, 2009 at 11:10 PM , Blogger Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बिल्कुल नहीं सुधरेंगे जी...वो आप ने कुत्ते की पूँछ वाली कहावत तो जरूर सुनी होगी। बिल्कुल वैसा ही मामला है।
सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी......

 

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